इस्लाम क्या है भाग 2/What Is Islam Part2

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मजहबे इस्लाम की सबसे पाक किताब क़ुरआन हिदायत की किताब है और खुदा का कलाम है | हजरते जिब्रील (علیہ_السلام) पैगम्बर हजरत मुहम्मद ﷺ पर  तेईस वर्षों तक जरूरत के मुताबिक वही के सूरत में खालिके कायनात का पैगाम आखरी नबी  हजरत मुहम्मद ﷺ  तक लाते रहे | इसे  रसूल अल्लाह ﷺ ने और आप के बहुत से शाहबः ने इसे अपने दिलो में लफ्ज़ ब लफ्ज़ महूज़ लिया था |

नामजो में इसे दोहराते रहे विभिन्न लेखन योग्य वस्तुओं पर दर्ज कर लिया गया और फिर इसके मुकम्मल होने के कुछ वर्षों के अन्दर इसे जिल्द (किताब ) के रूप में प्रकाशित किया गया।

यह लफ़्ज़ी तौर पर डेढ़ हज़ार (1500) साल से मफूज है और यह खालिक का वादा है जो क़यामत तक बरक़रार रहेगा |  सैकड़ों देशों में लाखों किताबो के बीच कोई रत्ती भर भी अंतर नहीं है।

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इस हकीकत के बावजूद कि जुबाने (भाषाएं) बदलती रहती हैं और हर सौ साल बाद मौजूदा बोली पुरातन, अप्रचलित और अस्पष्ट होती जाती है कुरान आज भी अरबी अदब का एक अति उत्तम रचना बना हुआ है और क़यामत तक कोई बदलाव नहीं होगा | 

कुरान ने खुद ऐसे सूरतों के तखलीख (निर्माण) को चुनौती दी थी, लेकिन माहिरीन में इसका सामना करने का साहस नहीं था। इस बात के बहुत से प्रमाण हैं कि यह अल्लाह का वचन है और इसमें कोई मिलावट नहीं है।

महज कुरान पढने और समझने के लिए ही कई व्यवस्थित विज्ञान वजूद में आते हैं जिन पर हजारो किताबे लिखी गई हैं |तजवीद का ज्ञान, तफ़सीर का ज्ञान, तफ़सीर के सिद्धांतों का ज्ञान आदि इसके उदाहरण हैं।

कुरान तामम इंसानों से खिताब फरमाता है इस लिए तकरीबन 106 मरतबा इस मे “ऐ लोगों” (“يا أيها الناس”) कह कर नसीहत की गई है  यह ब्रह्मांड के निर्माता के शब्दों की प्रभावशीलता है कि हमारे सैकड़ों सबसे बुरे दुश्मन भी उन्हें पढ़ने के बाद इस्लाम की सत्यता के बारे में आश्वस्त हो गए हैं।

फ़िक़्ह / न्यायशास्र Jurisprudence

फ़िक़्ह वह प्रणाली है जो इस्लामी उपासना और लेन-देन के संचालन का मार्गदर्शन करती है  कुरान और सुन्नत के अनुसार अपना जीवन जीने के लिए, कुछ महान विद्वान जिन्हें पैगंबर ﷺ के साथियों हो या अनुयायियों का आशीर्वाद प्राप्त था और जो पैगंबर ﷺ  के समय के बहुत करीब थे |

उन्हों ने ऐसे सिद्धांत और नियम बनाए हैं कि क़यामत तक इस दुनिया में आने वाले मुसलमान अपने हालात के मुताबिक मार्गदर्शन प्राप्त कर सकेंगे।

 यहां यह संदेह भी दूर हो जाता है कि “सदियों पुराना धर्म आज के उन्नत युग में कैसे प्रभावी हो सकता है” अथवा “वह मार्गदर्शन करने में असमर्थ है”। “इस्लाम ने मार्गदर्शक सिद्धांत प्रदान किए हैं, न्यायविद उनसे विवरण प्राप्त करते रहेंगे, और इस्लाम हर युग में मानव जाति का मार्गदर्शन करता रहेगा।”

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मजहबे इस्लाम में सूफीवाद क्या है / What Is Sufism In Islam

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सूफीवाद मनुष्य को भौतिकवाद (مادیت پرستی ) से मुक्त करता है, मानवीय आधार पर करुणा, सहिष्णुता, धैर्य और नैतिकता का विकास करता है।

यह अहंकार, घमंड, आपसी द्वेष और तनावपूर्ण जीवन से छुटकारा पाने में मदद करता है। इसका वास्तविक उद्देश्य आत्मा को शुद्ध करना है, अर्थात् सेवक को उसके सृष्टिकर्ता की अवज्ञा करने से बचाना और उसे सृष्टि के लिए लाभदायक बनाना है।

सूफीवाद की शिक्षाएं हर युग में शांति चाहने वालों के लिए प्रकाश की किरण रही हैं। सत्य की प्यास रखने वाले लाखों लोगों ने उनसे प्रेरणा ली है और इस्लाम की शरण ली है।

इस्लाम की संस्कृति क्या है/What Is Islamic Culture?

हाँ इस्लामी संस्कृति दुनिया की सबसे सभ्य संस्कृति है। इसके त्यौहार गंभीरता की अभिव्यक्ति हैं। यदि हम अन्य धर्मों के उत्सवों को ध्यान में रखें, तो इस्लामी त्योहारों से न तो उनके अनुयायियों को कोई जान-माल का नुकसान होता है, और न ही वे दूसरों के लिए हानिकारक साबित हुए हैं। 
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आइए हम इस गलत धारणा को दूर करें कि इस्लाम एक ख़ुश्क धर्म है। इस्लाम कुछ सीमाओं के साथ सभी प्रकार के तफरीह की अनुमति देता है।  ऐसे उत्सव मनाना जिनसे दूसरों को असुविधा हो, किसी के पूजा स्थल के सामने शोर मचाना, आतिशबाजी करना जिससे न केवल पर्यावरण प्रभावित हो बल्कि घर में आग भी लग जाए, ऐसे रंगों का छिड़काव करना जो मानव त्वचा के लिए हानिकारक हों और अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हों।

क्या डर है? हिंसा का मामला हो, या ऐसा कोई प्रबंध हो जिससे समूह संघर्ष का खतरा बढ़ जाए, या वे मामले हों जिनकी कुरान और हदीस ने सख्त मनाही की है, अगर इन सीमाओं का पालन किया जाए तो इस्लाम दिल के लिए पूरा तफरीह प्रदान करता है। कुरान यात्रा और तफरीह को प्रोत्साहित करता है।

इस्लाम ने न केवल शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा देने वाले खेलों को उचित ठहराया, बल्कि पैगंबर ﷺ ने आदेश दिया अपने बच्चों को तीरंदाजी, घुड़सवारी और तैराकी सिखाएं। इसलिए, ऐसी आपत्तियाँ या तो अज्ञानता का परिणाम हैं या पूर्वाग्रह पर आधारित गलतफहमी का सबूत हैं।

इस्लाम आपको सोचने के लिए आमंत्रित करता है।

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